लगभग सभी धर्मों में शुभ-अशुभ शकुनों के बारे में काफी कुछ लिखा गया है। शकुनों के आधार पर ही सभी धर्मग्रंथों में भविष्य से जुड़ी भविष्यवाणियां और उनके सत्य होने कहानियां भी बताई गई हैं। हमारे सनातन धर्म में भी ऐसे ही काफी सारे लक्षणों के बारे में बताया गया है। उदाहरण के लिए किसी काम पर जाते समय कोई टोक दे तो काम अधूरा ही रह जाता है।
समुद्रशास्त्र के अनुसार पुरुष का दाहिना अंग तथा स्त्री का बायां अंग फड़कना शुभ माना गया है। इसका विपरीत अनिष्ट करने वाला होता है। इनके अतिरिक्त भी अन्य लक्षण होते हैं यथा मस्तक फड़कने पर भूमिलाभ, ललाट के फड़कने पर स्थान लाभ, दोनों भौंहों के फड़कने पर सुख-सौभाग्य की प्राप्ति, नासिका के फड़कने पर प्रीति सुख, वक्षःस्थल फड़कने पर विजय, ह्रदय फड़कने पर कार्यसिद्धि, कमर फड़कने पर प्रमोद, नाभि फड़कने पर स्त्री का नाश, उदर (पेट) के फड़कने पर धनलाभ, गुदा के फड़कने पर वाहन लाभ, ओंठ के फड़कने पर प्रिय वस्तु की प्राप्ति, पीठ फड़कने पर पराजय प्राप्त होती हैं।
यात्रा पर निकलते समय यदि ब्राह्रमण, हाथी, घोड़ा, गाय, फल, अन्न, दूध, दही, कमलपुष्प, सफेद वस्तु या पुष्प, वेश्या, मोर, नेवला, जलता हुआ दीपक, सुहागिन स्त्री, चम्पा के पुष्प, कन्या, भरा हुआ घड़ा, नीलकंठ पक्षी, घी, गन्ना, सफेद बैल आदि दिखाई दें तो व्यक्ति की इच्छा अवश्य ही पूर्ण होती है। इसी प्रकार यात्रा पर निकलते समय यदि पीछे की ओर या बाईं तरफ छींक सुनाई दें तो यह भी मनोइच्छा पूर्ण होने का संकेत हैं। परन्तु यदि सामने की या दाईं ओर की छींक व्यक्ति की नुकसान करवाती हैं।
यात्रा पर जाते समय अगर काला कपड़ा, चर्बी, सांप, नमक, विष्ठा, तेल, पागल आदमी, रोगी, जलता हुआ घर, लाल वस्त्र, बिल्ली द्वारा रास्ता काटना, खाली घड़ा आदि संकेत दिखाई दें तो यात्रा टालने में ही भलाई मानी जाती हैं। अन्यथा कोई बड़ा नुकसान हो सकता है।
अर्थात, सोमवार, शनिवार को पूर्व दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसी प्रकार मंगलवार तथा बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा करना साक्षात मृत्यु का आव्हान करना है। रविवार तथा शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा करने से महान दुख मिलता है। गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा करने से व्यक्ति के वापिस लौटने की आशा नहीं रहती।
ऐसा होने पर यात्रा को टाल देना ही उचित रहता है, अन्यथा किसी बड़ी हानि का भय रहता है। इसके साथ ही शिवालय में घी का दीपक जलाकर “ॐ नमः शिवाय” का जप करना चाहिए। बड़ा भय होने पर रूद्राभिषेक करवाने से दोष दूर होता है।