निद्रा हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। दार्शनिक कहते हैं कि यह मृत्यु का सूक्ष्म रूप है, जिसके जरिए भगवान हमें यह याद दिलाते रहते हैं कि जाग्रत रहने का ही नाम जीवन नहीं है। इसके पार जाना भी जीवन है और वही जीवन का लक्ष्य भी है। इसके अलावा विभिन्न ग्रंथों में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि निद्रा लेने का सही समय क्या होता है। किस समय नींद लेने से यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती है और कब यह हानिकारक हो सकती है।
सूर्यास्त का समय दो काल बिंदुओं के मिलन का समय होता है। कहा जाता है कि इस दौरान देवी – देवता पृथ्वी का भ्रमण करते हैं। ये समय भजन – पूजन, देवी – देवता के स्मरण, मंत्र जाप, देव दर्शन आदि के लिए होता है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्यास्त के समय सोने वाले जातक के भाग्य में अनेक बाधाएं आती हैं। उसे परिश्रम के अनुसार फल नहीं मिलता। ऐसे लोग दुर्भाग्य को आमंत्रण देते हैं। अतः सूर्यास्त के समय नहीं सोना चाहिए।
भारत की जलवायु गर्म है। ऐसे में दोपहर के भोजन के बाद निद्रा का कुछ असर स्वाभाविक है। यह कुछ देर के विश्राम तक सीमित रहे तो इससे कोई हानि नहीं लेकिन यह तीन – चार घंटे की गहरी नींद नहीं होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार दोपहर को गहरी नींद लेने से मनुष्य के स्वास्थ्य का नाश होता है। कालांतर में उसे पाचन, हृदय और मानसिक रोग परेशान कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों की दोपहर में गहरी निद्रा लेना वर्जित है।
शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व उठ जाता है वह आरोग्य का वरदान प्राप्त करता है। सूर्योदय के बाद तक सोने वाला प्राणी कई परेशानियों से ग्रस्त हो सकता है। उसे नेत्र रोग, पाचन संस्थान के रोग, सिर में दर्द, तनाव जैसी कई बाधाएं पीड़ा देती हैं। विभिन्न ऋषियों ने कहा है कि जो मनुष्य सूर्योदय के बाद भी सोता रहता है, वह अपनी आयु कम कर कष्टों को आमंत्रण देता है।
ये नियम साधारण स्थिति के लिए हैं। शास्त्रों की मान्यता है कि इस संबंध में रोगी, गर्भवती महिला, वृद्ध और विशेष परिस्थिति में स्वविवेक के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।