न्याय के देवता ग्रह शनि देव ने बुधवार सुबह 4.36 बजे राशि परिवर्तन कर धनु से अपनी शत्रु राशि वृश्चिक में प्रवेश किया है। इसके साथ ही वह मार्गी से वक्री भी हो गए हैं। शनि की इस हलचल का आने वाले समय में बड़ा असर देखने को मिलेगा। विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार अगले 4 माह राजनीतिक तथा प्राकृतिक रूप से भारी उठापटक वाले रहेंगे।
वक्री शनि वृश्चिक में 26 अक्टूबर यानि 4 माह 5 दिन तक रहेगा। इसके बाद पुनः धनु राशि में प्रवेश करेगा। अब से पहले यह संयोग छह वर्ष पहले 2011 में बना था। उस समय भी शनि 15 नवंबर 2011 को तुला राशि में प्रवेश किया था। फिर 7 फरवरी को वक्री हो 16 मई 2012 को कन्या राशि में प्रवेश किया था। इसके बाद 4 अगस्त 2012 को फिर से तुला राशि में प्रवेश किया था। परन्तु तब शनि ग्रह अपने मित्र ग्रह की राशि में होने के कारण इतनी उथल-पुथल देखने को नहीं मिली।
शनि के इस राशि परिवर्तन से तुला, वृश्चिक तथा धनु राशि की साढ़े साती आरंभ हो जाएगी। इसके साथ ही मेष तथा सिंह राशि वालों को ढैय्या लग जाएगी। इसके कारण उन्हें आने वाले समय में बड़ी पीडा तथा कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
वक्री शनि का अपने शत्रु राशि में प्रवेश करना मेष, वृष, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु तथा कुंभ राशि वालों के लिए कष्टकारक रहेगा। इन राशि वालों के लिए अगले चार माह का समय धैर्य से काम लेने वाला तथा बहुत ही फूंक-फूंक कर कदम रखने वाला होगा। जबकि मिथुन, कन्या, मकर राशि वालों के लिए यह शुभ रहेगा। उनके बिगड़े काम भी बन जाएंगे। मीन राशि के लिए यह मध्यम रहेगा। उन्हें न नुकसान, न फायदे वाली स्थिति रहेगी, हालांकि उनके कार्यों में कुछ बाधा अवश्य आ सकती है।
Reference – Indiaasking.com